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Sumit Shukla

Tragedy

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Sumit Shukla

Tragedy

एक संसार ऐसा भी !!

एक संसार ऐसा भी !!

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शूल है एक पीड़ा का आधार है

भगवान ये कैसा तेरे संसार है,मोह माया की भरमार है

फिर भी इंसान इंसान के दर्द को नासमझ अपने भी दर्द मे निसार है

खुद से मोह खुद से माया ये कैसा प्यार है

कितने ही मासूम घूम रहे हैं भूखे पैसे वालो के पास ऐसा पैसा होना बेकार है

क्यूँ कि उनके दिल में प्यार नहीं बस माया का संसार है

माया के लोभ में हो रहे कृत्य बेकार है

इन पैसे के लिये मरने वालो से अच्छा तो उस भूखे बच्चे का संसार और संस्कार है ,

और मैं सुमित शुक्ला कहेता हूँ हाँ, हम लोगो से अच्छा उस भूखे का संसार है

क्यूँ कि उसकी आश जिन्दा और बरकार है इसलिये वो हर जंग से लड़ने को तैयार है ,

हा वो भूखा नंगा बच्चा जरूर है लेकिन स्वाभिमान से कमा कर खाने वाला परिवार है ,

और अमीरो से अच्छा मध्यमवर्ग से कई ज्यादा सच्चा उन गरीबों का परिवार है ।

और साहब बहुत करीब से जा कर महसूस किया है उनके पीड़ा और दर्द को

इसलिए कहता हूँ मुझे उनसे सहानुभूति बार बार है ।।


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