मन के रिश्ते
मन के रिश्ते
मेरे मन के तेरे मन से जुड़ गए जाने कितने है रिश्ते
पल दो पल साथ रहने से ज़िन्दगी बन जाते है रिश्ते।
कभी-कभी तो एक ठेस लगने से ही टूट भी जाते है
तलाश में प्यार की घर से बाहर भी बन जाते है रिश्ते।
नजदीकियाँ ना समझो इनकी तो दूर भी चले जाते है,
आँखे देखना चाहें जिन्हें हमेशा जुदा हो जाते है रिश्ते।
ना चाहें तो बनते, चाहो तो टूटते जाते है रिश्तों से रिश्ते।
रिश्ता में हो त्याग, बलिदान छुटे भी संभल जाते है रिश्ते।
रिश्तों की परिभाषा बनती है "नीतू" गहरे होते रिश्तों से
हर रिश्तों से बना प्यार और प्यार से बन जाते हैं रिश्ते।