STORYMIRROR

Nitu Rathore Rathore

Romance

4  

Nitu Rathore Rathore

Romance

मन के रिश्ते

मन के रिश्ते

1 min
798

मेरे मन के तेरे मन से जुड़ गए जाने कितने है रिश्ते

पल दो पल साथ रहने से ज़िन्दगी बन जाते है रिश्ते।


कभी-कभी तो एक ठेस लगने से ही टूट भी जाते है

तलाश में प्यार की घर से बाहर भी बन जाते है रिश्ते।


नजदीकियाँ ना समझो इनकी तो दूर भी चले जाते है,

आँखे देखना चाहें जिन्हें हमेशा जुदा हो जाते है रिश्ते।


ना चाहें तो बनते, चाहो तो टूटते जाते है रिश्तों से रिश्ते।

रिश्ता में हो त्याग, बलिदान छुटे भी संभल जाते है रिश्ते।


रिश्तों की परिभाषा बनती है "नीतू" गहरे होते रिश्तों से

हर रिश्तों से बना प्यार और प्यार से बन जाते हैं रिश्ते।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance