गालों की सुर्खी और होंठों की लाली।
गालों की सुर्खी और होंठों की लाली।
उसको जैसे ही देखा,
उसने बोला 'हाय',
मै शब्दों को,
मुंह में का गया,
बस उसे एक टक,
देखता रह गया,
धड़कन वहीं तक गई,
सांस तेज हो गई,
उसके चेहरे की सुर्खी,
और बढ़ गई,
होंठों की लाली,
मुझे स्तब्ध कर गई,
मन बार बार,
उकसा रहा था,
उन्हें छू लूं,
और महौबत का,
पहला पाठ लिख दूं।
उसने फिर से कहा,
'हाय' 'हैलो',
कहां खो गए,
मेरे अंदर से आवाज आई,
तेरे हुस्न के जादू में,
पागल हो गये,
ऐसा लगता,
दुनिया तेरे से,
हुई शुरू,
और तुझ पे ही खत्म हो गई।
तेरे होठों और गालों की लाली,
एक महौबत का,
पैगाम दे गई,
सचमुच दिल में,
प्यार का बीज वो गई।

