चलो संग चले
चलो संग चले
जीवन चलता चला जा रहा
हर पल रंंग यह बदल रहा
जो समझ में आता भाता है
निभ साथ कहाँ अब पाता है
फिर भी जब तुुम पास पास
जीने की बनी रही है आस
बस कुछ न कहो
संग चले चलो,संग चले चलो।।
रिश्ते सब अब अजनबी से
करनी कथनी से परे बने
बेमानी विश्वास की बात लगे
सपने अपनों के
आँखों मेें अब न कभी सजे
बात बतंगङ बन रहे
गली गली ढोल उन्हीं के बज रहे
इनसे यारी कब जमी कहो
संग चले चलो,संग चले चलो।।
हर नाता तुमसे है यारा
जां अपनी समझ समझ तुुम पर वारा
सब प्यारा है सब न्यारा है
जब से तुुुमसे मिला सहारा है
तुम बिन मै बस हारा हूँ
अब ठहर थम
हर ख्वाब की तान तुुम बनो
संग चले चलो,संग चले चलो।।

