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Divyanshi Triguna

Romance

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Divyanshi Triguna

Romance

हर प्रेमी पागल होता हैं,,।

हर प्रेमी पागल होता हैं,,।

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ओ कन्हैया, कान्हा मेरे

ओ मन बसिया, सांवरिया मेरे,,।


सुनो मेरे श्याम बांवरे, सुनो मेरे मोहन सांवरे 

प्रेमी तेरा पागल जैसा, जो रहना चाहें सदा वृन्दावन में रे,,।


हर प्रेमी पागल होता हैं, 

मुझसे ये मेरे मन ने कहा हैं, 

देखा हैं मैंने, सबसे सुना हैं, 

कि हर प्रेमी पागल होता हैं,

श्याम नाम में पागल हुआ हैं,,।


पागल हैं सब श्रीधाम के, 

प्रेमी हैं सब श्याम नाम के,

श्याम बिना कुछ मन ना भावे, 

सबकुछ बस बेकार सा लागे,,।


लगी लगन हमें मनमोहन की, 

जगी प्रीत मन मधुसूदन की,

इस तन को हरि भजन भावें,

मन सांवरिया, मोहन लागे,,।


हर प्रेमी पागल कहलाएं, 

श्याम नाम में ध्यान लगाएं,

नित सेवा भजन दोहराएं, 

नाम हरि बस जपते जाएं,,।


दिमाग़ी पागल आगरा जाएं, 

दिल के पागल वृन्दावन आएं,

एक वैध जी यहां रहते हैं, 

बिहारी जी सब उन्हें कहते हैं,,।


ऐसा वो उपचार करेंगे, 

भवसागर से पार करेंगे,

वृन्दावन में प्रेमी रहते, 

सोते जगते मोहन कहते,,।


हर प्रेमी पागल होता हैं, 

मुझसे ये मेरे मन ने कहा हैं, 

देखा हैं मैंने, सबसे सुना हैं, 

कि हर प्रेमी पागल होता हैं,,।


कुंज बिहारी से प्रेम रचाएं, 

मोहन संग अपनी प्रीती बढ़ाएं,

श्याम सांवरिया जब मन भाएं,

व्यक्ति सब संसार भुलाएं,,।


नित गोविन्द की याद आती हैं, 

हम क्या करें दिल को आती हैं, 

बिन देखें उसे चैन ना आएं, 

नित दर्शन को मन्दिर जाएं,,।


कृष्ण नाम का अमृत प्यारे,

जीवन का ये सार हैं सारे,

इस प्रेम मन का सत्य श्याम हैं,

इस जीवन का अन्त राम हैं,,।


कृष्ण नाम का अमृत चखले,

सारे स्वाद भुला बैठेगा,

कृष्ण नाम को चाहेगा बस,

सबकुछ उनको बना बैठेगा,,।


तुम बिन कौन खबर ले मेरी,

गोवर्धन गिरधारी,

मैं आया हूं तेरी शरण में,

मोहन कृष्ण मुरारी,,।


सुन लेना एक बात ये दिल की, 

मनमोहन बनवारी,

रहना चाहूं तेरे चरण में, 

ओ मेरे बांके बिहारी,,।


मैं दीवाना तेरा बांके बिहारी, 

प्रेम तराना मेरा तुम बनवारी,

मैं परवाना तेरा कुंज बिहारी,

प्रेम सुहाना मेरा मोहन मुरारी,

मैं दीवाना तेरा बांके बिहारी,,।


हां, हर प्रेमी पागल होता हैं, 

मुझसे ये मेरे मन ने कहा हैं, 

देखा हैं मैंने, सबसे सुना हैं, 

कि हर प्रेमी पागल होता हैं,

श्याम नाम में पागल हुआ हैं,,।


सुनो मेरे श्याम बांवरे, सुनो मेरे मोहन सांवरे 

प्रेमी तेरा पागल जैसा, जो रहना चाहें सदा वृन्दावन में रे,,।



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