किस रूप में आएं बांके बिहारी
किस रूप में आएं बांके बिहारी
हे गिरधर श्रीधर मुरलीधर,
हे परमेश्वर जनेश्वर जग के ईश्वर,
हे सुन्दर नन्द मुकुंद माधव,
हे सच्चिदानन्द गोविन्द राघव।
किस रूप में आए
हों बांके बिहारी,
किस रूप में आए
हो तुम मन के मुरारी,
मेरा हृदय छलने, मेरे ये मन छलने।
क्यों छलते हों, हमको इतना
क्या तुमको कोई दर्द नहीं हैं,
इतने निर्मोही तुम क्यों हों,
जो किसी से भी प्रेम नहीं हैं,,
हमको ना छलियों ओ रमण बिहारी,
ना छलियों ओ कृष्ण मुरारी,
आए
हों जिस रूप में।
राह निहारी, मुरारी
मैंने मनोहारी, तुम्हारी
दर्शन दोगे, कब गिरधारी
सोचें ये बेचारी, जो हैं बस तुम्हारी
सोचें ये बेचारी, जो जाने मोहन मुरारी।
किस रूप में आए
हों कृष्ण मुरारी,
किस रूप में आए
हों तुम रास बिहारी,
मेरा हृदय छलने, मेरा ये मन छलने।
हदय से पुकारा मैंने नाम तुम्हारा,
प्रभु आओ तुम, मन बस जाओ तुम
हरि नाम प्यारा, जो हदय से पुकारा,
नाम तुम्हारा वो, हमने पुकारा,
नाम तुम्हारा वो, सबसे प्यारा।
मुरली की धुन बजती हैं श्यामा,
थिरके मेरा मन पग पग रामा,
बनसी बजजैया, रास रचचैया
कब से मैं चाहूं तुमको कन्हैया,
कब से मैं चाहूं तुमको कृष्ण कन्हैया।
हर बार हमें छलने आते हों,
ना जाने क्या रूप लिए हों,
तुमने सबकुछ छला हैं मेरा,
कुछ ना रहा अब बाक़ी मेरा,
आए
हों जिस रूप हों।
किस रूप में आए
हों रमण बिहारी,
किस रूप में आए
हों तुम मोहन मुरारी,
मेरा हृदय छलन
े, मेरा ये मन छलने।
जैसा राधा ने किया कृष्ण से,
वैसा प्रेम करूं मैं तुझे
जैसा मीरा ने चाहा तुम्हें,
वैसे मैं भी चाहूं तुम्हें।
मानूं सांवरिया, मानूं रंग रसिया
मानूं रंग रसिया, मानूं सांवरिया
चाहूं मन बसिया, चाहूं सांवरिया
चाहूं सांवरिया, चाहूं मन बसिया।
प्रेम परीक्षा ले लो मेरी,
चाहें कितनी बार,
पर एक वादा दिल से करना,
मिलोगे तुम प्राणाधार।
किस रूप में आए
हों बांके बिहारी,
किस रूप में आए
हों तुम मन के मुरारी,
मेरा हृदय छलने, मेरा ये मन छलने।
नयना रोते याद में तेरी,
क्यों ना तुझे मैं याद करूं अब
याद करूं अब, याद करूं सब
याद करूं जब, याद करूं तब।
अब तो दर्शन दो मेरे भगवन,
विचलित नयना व्याकुल चितवन,
अन्तर्मन को तुम बहारों,
हदय में मेरे तुम पधारों,,
जीवन में आओ तुम श्यामा,
तन मन में रम जाओ रामा।
किस रूप में आए
हों मन के मुरारी,
किस रूप में आए
हों तुम बांके बिहारी,
मेरा हृदय छलने, मेरा ये मन छलने।
मेरे मन की सुन के स्वामी,
मेरे हृदय के श्याम हीं नामी,
आए
हों तुम श्रीधर गिरधर,
आए
हों संसार के स्वामी।
जिस रूप में आए
हों बांके बिहारी,
मैं उस रूप को दिल से स्वीकारी
आए
हों जिस रूप में,
मेरा हृदय छलने, मेरा ये मन छलने।
किस रूप में आए
हों बांके बिहारी,
किस रूप में आए
हो तुम मन के मुरारी,
मेरा हृदय छलने, मेरे ये मन छलने।