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Divyanshi Triguna

Abstract Romance Fantasy

4  

Divyanshi Triguna

Abstract Romance Fantasy

श्याम सुन्दर मेरे मन बसिया

श्याम सुन्दर मेरे मन बसिया

2 mins
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हे श्याम, हे राम

 मेरे राम, मेरे श्याम।


श्यामसुंदर मेरे मन बसिया, 

 मनमोहन मेरे रंग रसिया,

चाहत हैं हमको बस तुमसे पिया, 

 प्रेम हमारा हैं सांवरिया। 


मन के अन्दर जो मोहन हैं, 

 वहीं तो अब सब मेरा जीवन हैं, 

मधुसूदन ही अन्तर्मन हैं,

 मनमोहन हीं मेरे प्राण धन हैं।


गुरु, मित्र हैं मैंने माना, 

 सखा और स्वामी हां उनको जाना,

ना भावे मुझे दुनिया का खजाना,

 तुम हीं मेरे जीवन का तराना। 


गुलाबी रंग में मेरे गिरधर, 

 मनभावन हैं लागे मनोहर,

मन भज ले हरि मेरे श्याम सुंदर,

 सबके हदय के हैं हृदयेश्वर।


सच्चे भाव से प्रभु जो तुम्हें, 

 गोविन्द याद करें दिन रात,

तुम रहते हो हर पल हीं, 

 मोहन उस व्यक्ति के साथ।


भाव के भूखे हैं हरि प्यारे,

 और कहां कुछ हरि मन रीझें,

बस एक सच्चा प्रेम चाहिए,

 प्रेम जहां वहां श्याम रहें।


प्रेम के पथ पर चलकर हीं,

 हमको यहां पर श्याम मिलें,

बस एक सच्चा भाव चाहिए,

 जहां कहो वहां घनश्याम मिलें।


श्री कृष्ण हीं हैं प्रेम की मूरत,

 सच्चे प्रेम की हैं मोहन सूरत,

भाव देखते प्रभु हैं व्यक्ति का,

हरि हदय के प्रेम को देखे।


जब से श्याम ने पकड़ा मेरा हाथ, 

 सब सुख हैं अब मेरे साथ,

बाकी ज़िन्दगी अब बची हैं जितनी,

 बस हरि नाम लेकर हमें गुजारनी।


हे नाथ सदा तुम साथ मेरे, 

 मैं तो तुम बिन कुछ नहीं सांवरे, 

तुम हीं हों मेरे मन का सावन,

 तुम हीं हों मेरे श्याम मनभावन।


इस मन में रहो तुम भगवन, 

 ये तन भी तुम्हारा हैं त्रिभुवन, 

रह जाओ भगवन मेरे अन्तर्मन,

 बस जाओ मोहन हदय की हर धड़कन।


प्रेम विरह की ये वेदना,

 मुझसे मोहन अब सही जाएं ना,

करके अब तो कोई बहाना,

 आओ मेरे श्याम मोहना।


तेरी यादों में अब हर दिन मेरा,

 यूं बीता जाएं जीवन का सवेरा,

श्याम विरह में अब ये मन मेरा,

 राह निहारे तेरी जीवन मेरा।


कब तक ये आंसु बहते रहेंगे,

 क्या कभी हमको भी श्याम मिलेंगे,

जब से मैंने दुनिया को जाना,

 तब से मैंने श्याम नाम पहचाना।


हर रिश्ते से हैं अब मेरी दूरी,

 दुनिया में रहना बस हैं एक मजबूरी,

मेरा मन तो बस तेरे संग लगता,

 मेरा तन भी अब तेरे रंग में हैं रंगा।


मेरी धड़कन बस मनमोहन कहती,

 मेरी सांसें अब हरि नाम से बहती,

श्री कृष्ण प्रेम का अनुराग हुआ हैं,

 श्याम नाम का वैराग्य सुना हैं।


प्रियमाणाय हैं कृष्ण हमारे,

 सौम्य रूप में हरि लागे प्यारे,

जब से देखीं हैं मैंने मोहनी मूरत,

 तब से बस भाएं मुझे सांवली सूरत।


सांवरिया श्यामा मेरे, 

 मेरे ओ कृष्ण मुरारी, 

रंग रसिया रामा मेरे,

 मेरे ओ रास बिहारी।


सांवरिया मैं भी नाचूं,

 रंग रसिया मैं भी गाऊं,

प्रेम में तेरे प्रियतम,

 मैं भी जोगन बन जाऊं।


मीरा सी भक्ति राखू,

 राधा सा प्रेम रचाऊं,

गोपिन संग मैं भी तेरी, 

 बनसी की धुन बन जाऊं।


तन मन सब अर्पण करके,

 प्रेम का समर्पण करके,

जीवन रूपी सागर से,

 मोहन मैं भी तर जाऊं।


बस इतनी इच्छा मेरी,

 अन्तिम अभिलाषा मेरी,

मृत्यु से पहले मोहन,

 मैं भी वृन्दावन आऊं।


तेरे दर्शन से नयन सुख,

 मिट गए सारे जीवन दुःख,

अब अपनी शरण में ले लो,

 जो मन हों जाएं अब खुश।


हे बांके बिहारी,

 मेरी विनती हैं प्यारी,

स्वीकारो प्रभु तुम,

 मन मर्जी हमारी।


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