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Rajiv Jiya Kumar

Tragedy

4  

Rajiv Jiya Kumar

Tragedy

☆हकदार☆~~~~~~~

☆हकदार☆~~~~~~~

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9

सच में एक अवतार थी वह

तुझे संवारने वाली

एक हसीन कलाकार थी वह

बता बता एक बार बता

जो तूने उसे दिया

क्या उसकी ही

हकदार थी वह।।

तेरी तलबगार थी वह

तूझे जां मानने की फ़ितरत 

ऐसी जानदार धो वह

बता बता एक बार बता

जो तूने उसे दिया 

क्या उसकी हीं

हकदार थी वह।।

पल पल दमदार थी वह

तेरी ठसक, तेरी धमक की

हर हाल तरफदार थी वह

बता बता एक बार बता

जो तूने उसे दिया

क्या उसकी ही

हकदार थी वह।।

वह बहार थी,वह सूत्रधार थी

सजाई जगमग रंगोली

सेहन में तेरे

उसे सजाने की बारी

आई अब तेरी

फिर क्यूँ भटक रहा

किस बेबसी को गटक रह।।

चल उन रंगो को सजा

सोच गलत क्या सही क्या 

क्योंकि जो तूने उसे दिया

हकदार उसकी वह 

थी कभी नहीं

थी कभी नहीं।।

   


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