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VanyA V@idehi

Tragedy

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VanyA V@idehi

Tragedy

अब इम्तिहान कौन देगा?

अब इम्तिहान कौन देगा?

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ज़ब तलक ज़िन्दा है,ख़त्म कर ले इम्तिहाँ सारे ,

तेरे बाद तेरे हिस्से का इम्तिहाँ कोई नहीं देगा !


इब जो दर्द तेरा है उसका सायबाँ कोई नहीं देगा ,

तुझे ऐसा सुकूँ का कुशादाँ आसमाँ कोई नहीं देगा !


जो प्यास अपनी हो तो अपने साथ रक्खो बादल भी,

ये मतलबी दुनिया है, विरासत में कुआँ कोई नहीं देगा !


हवा ने बेरहमी से अल्लसुब्‍ह चिड़ी के पर काट डाले हैं,

बागवां चुप है,यहाँ ठठराए दरख़्तों में अज़ाँ कोई नहीं देगा !


यहाँ वहाँ मिलेंगे तुम्हें मुफ़्त शोलों की क़बाएँ बाँटने वाले,

मगर सिर छुपाने को तुम्हें अदद पक्का मकाँ कोई नहीं देगा !


ये ज़िन्दगी ज़ब बन जाएगी बेवा दुल्हन सी,भीगी हुई लकड़ी सी,

तेरे एहसासों की कोठरी धुआंधर जलेगी, धुआँ कोई नहीं देगा!



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