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Sudhir Srivastava

Abstract Tragedy

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Sudhir Srivastava

Abstract Tragedy

अंतिम सत्य

अंतिम सत्य

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जब तक सांस चलती है 

हम खुद को खुदा समझते हैं,

कभी धन का घमंड

तो कभी ताकत का

कभी रूतबे का रोब दिखाते हैं।


लगता है हम अमर होकर

इस जहाँ में आये हैंं,

और तो और हम घमंड में चूर

अपने ईश्वर को भी बरगलाये हैं।


परंतु लगता है कि

हम भ्रम का शिकार हैं

या फिर एक मात्र अंतिम सत्य को

स्वीकारना ही नहीं चाहते 

या जानबूझकर मुँह चुराते हैं।


मगर कब तक सत्य को

आखिर झूठलाते रहोगे,

अंत में एक दिन इस दुनियां से 

चले ही जाओगे,


अपनों के ही हाथों 

जलाकर/दफनाकर

अंतिम सत्य का शिकार हो

दुनियां से अपना वजूद भी

हमेशा के लिए मिटा जाओगे।


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