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neha chaudhary

Tragedy

4  

neha chaudhary

Tragedy

हमें भी जीने दो

हमें भी जीने दो

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आज देखा था करीब से,

आँखों में दर्द है उनके भी,

वो कह रहे थे शायद

जीने दो  हमें भी ........


वो खुला आसमान,

वो ठंडी ठंडी हवाएं,

देखने को तरस गए,

वो बारिशों की फिजायें l


वो देख रहे थे,

उन बर्बस आँखों से

जो कह रहे थे शायद

दर्द होता है हमें भी,

वो कह रहे थे शायद

जीने दो हमें भी ..........


क्यूँ बन गया इतना,

मतलबी एं इंसा

जो बना दिया शोपीस,

मेरे जीवन को l


 था जन्म लिया मैंने,

आसमां में उड़ने को,

आसियाना बना दिया तूने मेरा, 

इस लोहे के पिंजरे को l

 वो कह रहे थे शायद

जीने दो हमें भी ............

अब त्याग दो ये लालच,

और खुशी के पल तुम भी जी लो l

 एं इंसा अब उड़ने दो मुझे भी,

दो पल मुझे भी  जी लेने दो .............

अरदास पंछियों की.........


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