मिस्ट्री--- 'हादसों का शहर'
मिस्ट्री--- 'हादसों का शहर'
यह हादसों का
शहर है
हर पल एक
नया हादसा
होता है यहाँ
आप अपने हादसों के
इकलौते गवाह हैं यहाँ
ऐसा नहीं की
यहाँ लोग नेत्रविहीन हैं...।
नहीं...!
वो अंधे हैं
मन से और मस्तिष्क से भी...!
इन्होंने मौन साध लिया है
अपने इमान,
अपने इंसानियत को बेचकर
एक ताला लगा लिया है
अपने होठों पर
चाबी भी तो नहीं इनके पास
खैर छोड़िये सब...!
हमें क्या लेना
इन सब बातों से
कौन सा हमारे साथ
यह हादसा हुआ है
जब होगा तब देखा जायेगा
अभी तो
चैन की सांस
लेने दीजिये
अगले पल
जो होगा देखा जायेगा...!
हाँ...
यह हादसों का
शहर है...!