ख्वाबों को चलना ना आया
ख्वाबों को चलना ना आया
ख्वाबों को चलना ना आया ,तेरे संग बिखरना ना आया
जानती हूँ तुझको मेरा ,ये अनोखा रँग ना भाया।
मैं शर्म ~ओ ~हया में डूब जाती ,तुझसे अपने ख्वाब छिपाती ,
तुझको मेरी खामोशी का ,ये एहसास पसंद ना आया.
तूने मुझे कई बार धिक्कारा ,उसने मुझे तब दिया सहारा ,
मेरे खामोश ख्वाबों को उसने ,अपना एक ख्वाब बनाया।
हम दोनो के ख्वाब निराले ,चलते जब संग लगते प्यारे ,
उन ख्वाबों को दिल में रख कर ,हमने नया एक ख्वाब बनाया।
ख्वाबों को चलना ना आया ,उस नए ख्वाब ने दिल डराया ,
जानती हूँ उसका और मेरा ,वो ख्वाब कभी पूरा ना हो पाया।।

