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Rajeev Tripathi

Abstract Tragedy

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Rajeev Tripathi

Abstract Tragedy

रिश्ते कमाइए

रिश्ते कमाइए

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धन छोड़कर आप ज़रा इधर आइए

रिश्ते तन्हा पड़े हुए रिश्ते कमाइए 

दौड़ भाग से फुर्सत लेकर 

दिल से दिल मिलाइए

रिश्ते तन्हा पड़े हुए हैं रिश्ते कमाइए 

कोई नहीं है गम मेरे तनहा है

थाम कर हाथ तन्हाई दूर भगाईए

रिश्ते तन्हा पड़े हुए हैं रिश्ते कमाइए

रिश्तों को आपने ख़ुदा नहीं माना

रिश्तों को इबादत की तरह दोहराइये

रिश्ते तन्हा पड़े हुए हैं रिश्ते निभाईए 

दिल यह देख रोते आँसू है

अब तो आ भी जाइए

रिश्ते तन्हा पड़े हुए हैं रिश्ते कमाइए

मेरे घर से दूर यूँ ना जाइए

चारदीवारी कहती है घर लौट आइए  

रिश्ते तन्हा पड़े हुए हैं रिश्ते कमाइए

तन्हा तुम भी हो सकते हैं

इतना ख़्याल कर लेना

धन जरूरी है मगर एक बार 

इनसान को भी आज़माइए 

इनसान अनमोल है इसका

मोल समझ जाइए 

रिश्ते तन्हा पड़े हुए हैं रिश्ते कमाइए 

धन छोड़कर आप ज़रा इधर आइए

रिश्ते तन्हा पड़े हुए हैं रिश्ते कमाइए 



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