मेंहदी रचे हाथ
मेंहदी रचे हाथ
कभी मेंहदी रचे हाथों
को धोया था जहाँ तुमने
वहीं से आज भी खुश्बू
हवायें ला रही हैं फिर।
मुझे सब याद हैं बातें
तुम्हे क्या याद है अब भी
चलो फिर से वहीं बैठें
मिले फुर्सत तुम्हे जब भी
लिखे है गीत जो तुम पर
फिजायें गा रही हैं फिर।
हमेशा याद आती है
हुई जो प्यार की बातें
कभी इन्कार की बातें
कभी इकरार की बातें
मुझे अक्सर लगा साथी
सदायें आ रही हैं फिर।
लगा मुझको अभी ऐसा
तुम्हारे साथ बैठा हूं
तुम्हारे नर्म कन्धों पर
रखे मैं हाथ बैठा हूं
तुम्हारी जुल्फ बिखरी है
घटायें छा रहीं हैं फिर।।
बहुत मजबूर हो तुम भी
वहाँ से दूर हूं मै भी
कहीं पर खो गई हो तुम
यहाँ पर चूर हूं मैं भी
तुम्हारे पास ले मुझको
दिशायें जा रही हैं फिर।