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रहता नहीं ठिकाना कोई चूल्हा जलेगा आज लेकिन देख इन्हें सत्ता को रहता नहीं ठिकाना कोई चूल्हा जलेगा आज लेकिन देख इन्हें सत्ता को
डर फैलाकर भगवानों का जनता को तुम छलते आये डर फैलाकर भगवानों का जनता को तुम छलते आये
अपने देश की परिभाषा अब धीरे-धीरे बदल रही है । अपने देश की परिभाषा अब धीरे-धीरे बदल रही है ।
हाथों पर रख हाथ न बैठो गढ़ो कर्म से तुम तकदीर हाथों पर रख हाथ न बैठो गढ़ो कर्म से तुम तकदीर
कामुक नजरें लगी हुई हैं दरवाजे पर आज कामुक नजरें लगी हुई हैं दरवाजे पर आज
छाँव इन्हे दुत्कार रही है धूप चलाये गोली। छाँव इन्हे दुत्कार रही है धूप चलाये गोली।
माँगोगे तुम खुशियाँ लेकिन मौत तुम्हे इनाम मिलेगा। माँगोगे तुम खुशियाँ लेकिन मौत तुम्हे इनाम मिलेगा।
शर्म नही सत्ता को कुछ भी भले मरें बिन दाना पानी। शर्म नही सत्ता को कुछ भी भले मरें बिन दाना पानी।
यहाँ पर अजनबी से हम मगर पहचान है घर पर यहाँ पर अजनबी से हम मगर पहचान है घर पर
कमबख्त मेरा दिल पागल था छुप छुप के नजारा करते थे। कमबख्त मेरा दिल पागल था छुप छुप के नजारा करते थे।