पनिहारिन
पनिहारिन
गुजरा वो जमाना याद अभी
आँखों से इशारा करते थे
एक पनिहारिन थी घूंघट में
उसको ही निहारा करते थे।
जब डोर खींचती गागर की
कुएँ की जगत पर चढ़कर वो
सर की चूनर सर सर सर के
जब हाथ चलाती झुककर वो
उसको ही देखने की खातिर
हम वक्त गुजारा करते थे।
संगीत मधुर बजने लगता
पायल छनका वो जब आती
मैं प्यास बुझाने आ जाता
ये दिल की धड़कन बढ़ जाती
इक बार पलट कर देख ले वो
मन में ही पुकारा करते थे।
मोहक मुखड़ा चंदा जैसे
श्रृंगार की वह मुहताज न थी
वह हूर किसी की दौलत थी
पर वो मेरी मुमताज न थी
कमबख्त मेरा दिल पागल था
छुप छुप के नजारा करते थे।