STORYMIRROR

Chandragat bharti

Tragedy Others

4  

Chandragat bharti

Tragedy Others

रिसे बिवाई पाँव की

रिसे बिवाई पाँव की

1 min
566

शोषित मजलूमों की गाथा

लिखी न जाये गाँव की?

जमींदार जो चल देता है

काट नहीं उस दाँव की।


रहता नहीं ठिकाना कोई

चूल्हा जलेगा आज

लेकिन देख इन्हें सत्ता को

तनिक न आती लाज

घर को छोड़ शरण ये लेते

दिल्ली और गुड़गांव की।


इनको तो विश्वास ये रहता

काम मिलेगा पक्का

लेकिन अक्सर आस टूटती

मिले इन्हें बस धक्का

हाथों में नित पड़ते घट्ठे

रिसे बिवाई पाँव की।


भाग्य यही है इन लोगों का

बने रहें मजबूर

हाँड़ माँस को गला गलाकर

रहें सदा मजदूर

भला ख्वाब फिर कैसे देखें

अपने छत के छाँव की।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy