बन्द करो खिलवाड़ प्रकृति से
बन्द करो खिलवाड़ प्रकृति से
बोओगे बबूल यदि बोलो
कैसे तुमको आम मिलेगा
बन्द करो खिलवाड़ प्रकृति से
खतरनाक परिणाम मिलेगा ।
तुमने दोहन कर डाला यूं
रंग बदलते मौसम सारे
आसमान तक हुआ प्रदूषित
साफ न दिखते चाँद सितारे
घोलोगे यदि जहर हवा में
जीव यहाँ गुमनाम मिलेगा ।
त्राहि-त्राहि मच रहा जगत में
फैल रही है बस बीमारी
मानवता हो रही विखंडित
काट रही है जंगल आरी
बदल रहा भूगोल यहाँ नित
कैसे शुभ पैगाम मिलेगा ।
नही मिलेंगे वैद्य डाक्टर
हालत बड़ी भयावह होगी
नही रहेंगे हम दुनिया में
किसकी मात कहाँ शह होगी
माँगोगे तुम खुशियाँ लेकिन
मौत तुम्हे इनाम मिलेगा।