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Bhavna Thaker

Romance

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Bhavna Thaker

Romance

सजनी तोहरी पुकार रही है

सजनी तोहरी पुकार रही है

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लाल बुरांस की डार पे साजन रंगों की बौछार की शबनम

उस पर ये यादों की सरगम दिल से उठती देती सदाएं हरदम तुमको पुकार रही है।


चुनरी चोली गाल गुलाबी फागुन बैरी कोरा कटे ना देती कसम हूँ तुमको

होली पर आ जाना मेरी भीगी अखिंयाँ पथ तेरा निहार रही है ।


रंगों की रंगोली सजा दे खाली उर आँगन जो पड़ा है धवल जीवन के बाग में

साजन पलाश के तू रंग सजा हर पल तुमको बुला ये बहार रही है।


लब पर पड़े उदासी हंसती सखियाँ मुझे ठिठोली कसती देवनार की छाँव है

ड़सती मनुहार का मान तू रख नम आँखें अश्रु से राह पखार रही है।


दूरी अब तो सही ना जाए चैन मुझे कहीं ना आए सखियाँ साजन के पहलू में

फागुन की हर रतियां काटे करवट पर जलती शैया पर सजनी तेरी तोहे सैयां पुकार रही है।


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