दिवानगी
दिवानगी
कैसा दिवाना ये मन है मेरा,
तुझ को मै भूल पाता नहीं,
ईश्क किया है मैने तुझको,
तेरे बिना मै रह पाता नहीं।
क्युं रहती है छूपकर मुझसे,
मेरे दिल को कभी रास नहीं,
सपने में तूं सताती है मुझको,
चहेरा कभी तूं दिखाती नहीं।
कैसा तरंगी ये मन है मेरा,
ईन्तज़ार करना छोडता नहीं,
ईश्क किया है मैने तुझको,
तेरे बिना मै रह पाता नहीं।
तूं है मेरे दिल की धड़कन,
ईश्क का ताल मिलाती नहीं,
मै हुं तेरे ईश्क की सरगम,
दिलसे तूं कभी सूनती नहीं।
तस्वीर तेरी दिल में है "मुरली",
बांहों में तूं क्यूं समाती नहीं?
ईश्क किया है मैने तुझको
तेरे बिना में रह पाता नहीं।

