ज़िंदगी: एक सफ़र
ज़िंदगी: एक सफ़र
मुसाफ़िर हैं यहाँ हर लोग आते और जाते हैं।
यहीं बनते-बिगड़ते अनगिनत रिश्ते व नाते हैं।।१।।
किसी जब मुश्किलों में हम घिरे होते कहीं हैं तब,
हमारे कौन हैं अपने तभी हम आज़माते हैं।।२।।
बड़े ख़ामोश रहते हैं किसी से कुछ नहीं कहते,
भरा है दर्द सीने में मगर हम मुस्कुराते हैं।।३।।
ज़मीं पर जो बिखेरे रौशनी किरदार से अपने,
वही बनकर सितारे आसमां में जगमगाते हैं।।४।।
भले रोता रहे ये दिल हमारा हर घड़ी 'रोहित',
मगर रहते जहाँ हैं हम वहाँ सबको हँसाते हैं।।५।।

