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ROHIT ASTHANA NIRANKARI

Abstract Romance

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ROHIT ASTHANA NIRANKARI

Abstract Romance

“प्रेम का विस्तार ही संसार है”

“प्रेम का विस्तार ही संसार है”

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“ग़ज़ल”


प्रेम जाने का प्रभु तक द्वार है।

प्रेम ही सारे जगत का सार है।।१।।


चर-अचर जो दिख रहे चारों तरफ़,

प्रेम का विस्तार ही संसार है।।२।।


जोड़ने का काम ही करता सदा,

प्रेम का होता यही किरदार है।।३।।


प्रेम का प्रतिबिंब ही है ये भुवन,

प्रेम से सारा जहां गुलज़ार है।।४।।


हर जगह मौजूद है ‘रोहित’ ख़ुदा,

प्रेम से होता हमें दीदार है।।५।।



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