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ROHIT ASTHANA NIRANKARI

Abstract Others

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ROHIT ASTHANA NIRANKARI

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रूहानी ग़ज़ल

रूहानी ग़ज़ल

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  ‘हरिक भटके बशर को रास्ता तुमने दिखाया है’

             


    हमारी ज़िंदगी में ज्ञान का दीपक जलाया है।

 ख़ताओं को हमारी माफ़ कर रब से मिलाया है।।१।।


भुला हरगिज़ नहीं सकता करम यह आपका मोहसिन,

 मेरे जीवन की नौका को किनारे पर लगाया है।।२।।


    उन्हें आज़ाद कर देता है पल में बंधनों से तू,

 तेरे दरबार में आकर के जिसने सिर झुकाया है।।३।।


   मुहब्बत की नूरानी राह पर हमको चला करके,

 हरिक भटके बशर को रास्ता तुमने दिखाया है।।४।।


 करम कर दे तू ऐसा काश मुझ ‘रोहित’ पे भी रहबर,

 चलूँ नक़्श-ए-क़दम पर मैं जिसे तूने बताया है।।५।।



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