“सामाजिक ग़ज़ल”
“सामाजिक ग़ज़ल”
हमको तेरा न अगर आज सहारा होता।
बारहा सोच तो क्या हाल हमारा होता।।१।।
किस तरह पूरे भला मेरे ये सपने होते,
ग़लतियों को न अगर तुमने सुधारा होता।।२।।
वक़्त रहते जो समझ लेते इशारे तेरे,
तो बुलंदी पे हमारा भी सितारा होता।।३।।
वादि-ए-दिल पे बहारों ने दी थी जब दस्तक,
ऐसे आलम में कभी हमको पुकारा होता।।४।।
प्यार के फूल खिलाते अगर दिल में ‘रोहित’
ख़ुश-नुमा चारों तरफ़ आज नज़ारा होता।।५।।