आध्यात्मिक ग़ज़ल
आध्यात्मिक ग़ज़ल
‘मुहब्बत से फ़क़त सारा जहां गुलज़ार होता है’
बहर: १२२२-१२२२-१२२२-१२२२
गुरु की रहमतों से भक्त का उद्धार होता है।
इन्हीं की मेहर से रब का हमें दीदार होता है।।१।।
चले नक्श-ए-क़दम पर जो बशर नूर-ए-इलाही के,
वही आवागमन के इस भंवर से पार होता है।।२।।
हरिक इंसान से है चाहिए मिलकर हमें रहना,
दिलों में पालना नफ़रत बहुत बेकार होता है।।३।।
यही पैग़ाम देता जा रहा है मुर्शिद-ए-क़ामिल,
मुहब्बत से फ़क़त सारा जहाँ गुलज़ार होता है।।४।।
सभी को जोड़ने का काम ‘रोहित’ है सदा करता,
हक़ीक़त में यही तो प्यार का किरदार होता है।।५।।