तू और मैं
तू और मैं
तू जल है शांत सरोवर की,
मैं नदी का बहता पानी हूँ।
तू मूरत संग-ए-मरमर की,
मैं टूटी तस्वीर पुरानी हूँ।
तू ख्वाब है सुंदर महलों की,
मैं अनसुलझी कहानी हूँ।।
तू कली है लाल गुलाब की,
मैं शूल भरी बागवानी हूँ।
तू मन्द बयार है शीतल सी,
मैं तेज हवा तूफानी हूँ।।
तू श्वेत किरन है इंद्रधनुष की,
मैं सूरज की तपिश गुमानी हूँ।
तू याद है, किताब में रखे गुलाब की,
मैं बस एक झूठी निशानी हूँ।।