ग़ज़ल - इस मुहब्बत में सब गवारा है
ग़ज़ल - इस मुहब्बत में सब गवारा है
इस मुहब्बत में सब गवारा है।
इक सा लगता नफा-ख़सारा है।
याद जिसकी हमें सताती है,
बस उसी ने हमें बिसारा है।
चीर कर देख लो मेरा दिल तुम,
नाम बस इक लिखा तुम्हारा है।
जख्म भरते नहीं पुराने क्यूँ,
दर्द पर क्यूँ मेरा इजारा है।
दिल किसी से लगा के देखो तुम,
जान जाना न इस्ति'आरा है।
डगमगाती है नाव क्यूँ मेरी,
मिल गया जब मुझे किनारा है।
शायरी बन गयी मेरी हमदम,
अब ग़ज़ल ही मेरा सहारा है।