STORYMIRROR

Shahwaiz Khan

Romance Others

4  

Shahwaiz Khan

Romance Others

चाहत

चाहत

1 min
258

मैं उसे चाहता था

मैं अगर नींद था तो वो ख़्वाब थी मेरे लिए

मैं अगर झील था तो वो कंबल थी मेरे लिए

उसके होने से ख़ुशियाँ मेरी दोस्त थी

उसके खोने का तो सोचता कैसे

जैसे वो मेरी जान थी

उसकी गली मोहल्ला तमाम से मुहब्बत थी मुझे

उसकी एक झलक ही काफ़ी थी मुझे

मेरी दिन थी वो

मेरी रात थी वो

जब कभी उसके रूबरू हुआ

आवाज़ को ना जाने क्या हुआ

लफ़्ज़ ज़बान पे उलझ जाते थे

कहना कुछ होता था और बात कुछ और करते थे

ये सिलसिला चलता रहा और फिर

उसकी हथेलियों पे किसी और का नाम लिख दिया गया

और मैं उसकी शादी में शरीक था

जिसकी तस्वीर दिल में थी

आज वो अपनी ना थी

एक बड़ी ख़ता कर गये

बात दिल की करने में देर कर गये

जैसा आग़ाज़ था वैसा अंजाम था

अब याद रखने के लिए कुछ नहीं था

बस इसके सिवा

मैं उसे चाहता था 

मैं उसे चाहता था।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance