कशमकश
कशमकश
तुम क्या गए
मेरे वजूद से
अपने साथ
मेरा भी बहुत कुछ ले गए
तुम ले गए मुझसे
मेरी यारों संग
वो कहक़हाती महफिलें
वो रंगो बू में जीना
वो घूमना
बेपरवाह और बेसबब
बेवजह
ख़ुश रहना
वो सब से हँसके मिलना
वो दूसरों के दुखी वक़्त पर
उनके कान्धें पे हाथ रखना
में आज गुम हो गया हूँ खुदी में
ना महफिल में खुश हूँ
ना
तन्हाई में सुकूँ पाता हूँ
में खो गया हूँ
तेरी बेखुदी में
मे एक बेनाम सी कहानी का
किरदार बन गया हूं
किसी अधेरे में रखें
मूरत का
शाहकार सा रखा रह गया हूँ
में कहाँ आ गया हूँ
तुम कहाँ चले गए हो
ये सोचते सोचते थक गया हूं
में जिन्दा हूँ या मर गया हूँ
