मीत मेरे
मीत मेरे
नयनों में अंजन सा घुल जाते हो।
अधरों के कलियों के गुलाब हो।
गालों के गुलाबी कचनार हो।
कैसे कहूँ क्या हो तुम...
सुर के राग हो साँसों के पराग हो।
थाली के भोजन के स्वाद हो।
रातों की नींद ,दुपहरी का चैन हो।
कैसे कहूँ क्या हो तुम ...
जीवन के आधार हो।
घर के चिराग़, मेरे सुहाग हो।
चूड़ी की खन खन पायल की छन छन
तुमसे,
माँग की गुलमोहर ,सेज के हरश्रृंगार हो।
कैसे कहूँ क्या हो तुम...
हया की लाली सेज के साज हो।
चमन के सरताज, आँगन का बहार हो।
शीतल फुहार, दिल का करार हो।
कैसे कहूँ क्या हो तुम...
आशियाना के पालन हार हो।
घर के नींव परिवार के कवच हो।
भोर के किरण हो ,साँझ के गीत हो।
झंकृत मन के सितार हो
कैसे कहूँ क्या हो तुम...