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Savita Gupta

Inspirational

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Savita Gupta

Inspirational

जा रहे हो

जा रहे हो

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कल तुम जा रहे हो डायरी में सिमट रहे हो

याद आओगे कुछ दिनों तक इत्र बन रहे हो

सिमट जाओगे कैलेंडर में भूत बन रहे हो

यादों के फूल और काँटे देकर तुम जा रहे हो।


नहीं शिकवा और न शिकायत तुमसे है

सीखा है तुमसे मैंने ,जीवन क्षणभंगुर है

आकर फिर है जाना ,सफ़र में दृश्य बदलते हैं 

सुधा की नहीं थी चाहत हर रस भिगो रहे हैं।


कोरे पन्नों पर बिखेरे कई रंगों की स्याही 

टाट,मलमल की चादर संग मिले कई राही

तारीख़ों के धुंधली यादों की दोगे तुम गवाही

विदा हुए धीरे-धीरे लिए स्मृतियों की सुराही।


खोया कुछ तो पाया भी जिया है तुझको खुलके।

साया था जिनका सर पर चले गए आँख मूँद के।

बारह महीने की थी उम्र तेरी ,जाते हो अलविदा कहके।

आगमन नई सुबह की नमन तुझे है कर जोड़ के।


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