जीवन चलने का नाम
जीवन चलने का नाम
ये जो भीतर ही भीतर, डरते है हम,
किनारों पे बैठे, सोच विचार जो करते रहते है हम
डरते है शायद इक हार से,
असफलता की फटकार से।
तब ! तब, अंतर्मन सही दिशा दिखलाता है,
"जीवन किनारों सा ठहरा नही है," ये बतलाता है।।
जीवन बहने का नाम है, चलना इसका काम है,
तभी तो नई सुबहें है, और नई नई कई शाम है।।
तो फिर सोचना क्या, एक बार कूदे जो दरिया में,
फिर भागेगा , ये जो डर है हमारा,
और संवर जायेगा जिंदगी का नजारा।।
किनारों पर जो नहीं मिला, मिलेगा वो सुकून
और जागेगा मन में, नित नया करने का जुनून।।
फिर, फिर नही लगेगा कोई भय , सागर की गहराई से,
और ना ही टूटे हौंसला , लहरों की ऊंचाई से।।
बहते चलो , क्योंकि यही मज़ा है,
थम जाना तो मानों, एक सजा है।।
गर लम्हा थम जाए तो नए सवेरे कहां से आयेंगे ?
और थम जाए जो धरा,तो बदलते मौसम कहां से पाएंगे ?
धीमे ही सही, कल से कुछ और आगे हम बढ़ेंगे,
तभी तो जीवन की किताब में, नए पन्नें जुड़ेंगे।।