चाहत के लिए…
चाहत के लिए…
भीड़ लगी है चेहरों की किस -किस को गले लगाऊँ।
चमकते सारे मतलब से डर लगता है खो न जाऊँ।
सुकून से जीने के लिए एक चेहरा ही काफ़ी है,
जो सुंदर हो ह्रदय से,कहाँ ऐसा चेहरा मैं पाऊँ ?
मिल जाए वो चेहरा जो जीवन महका जाए।
ढूँढ रही हर रिश्तों की गर्मियों में जो लुभाए।
शशांक चाँदनी पल भर का फिर घना अंधेरा,
ढूँढ रही ‘सविता’वो चेहरा जो चाहत जगा जाए।