रेंगनीं का पौधा
रेंगनीं का पौधा
रेंगनी का पौधा
कहीं भी
अक्सर उग जाता है
सड़क के किनारे
या नाली के सहारे
बिना खाद्य पानी के
काँटों से भरा।
बचकर निकल जाते हैं लोग
मुझ पर आँखें तरेर कर।
मेरे बदन के नीले
फूल भी नहीं रिझाते।
थेथर की तरह
पसरी रहती हूँ
अक्सर।
तुम्हारे बदन भी तो
काँटे से भरे हैं
पर तुम तो
राजा कहलाते हो।
घरों में
गुलदस्ते और बागों&n
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में सजते हो।
तोहफ़े में पाकर तुझे
इतराते हैं लोग।
पर मेरी क़िस्मत में…
हेय दृष्टि तिरस्कार
ही आता
मैं अशुभ
समाज के पिछड़े
तबके की तरह
उपेक्षित जिसे
उखाड़कर
फेंक देते हैं बस्ती से दूर
नील रंग के फूल
टिमटिमाते हैं रेंगनी
के कंटीले गात पर
माना कि गुलाब सी
प्रचलित नहीं मेरी
औषधीय गुण
और
खटकती हूँ
हर शहर हर डगर
कोने में …