क्या में तितली बनूँ ?
क्या में तितली बनूँ ?
उडती तितली देख मुझे लगा की बनूँ तितली
ऊडू फुलं फुल सुंदर सुंदर
लू रंग उनके की फूलों के लू
खुब सुरत तो ओ भी है और फूल भी
मेहक मगर फूँलों मे ही है
मगर ओ ऊड ना पाऐ
कश्मकश है कैसी ऐ क्यों मै बनना चाहूँ
किसी और जैसा
मै हूँ अलग, है अलग अस्तित्व मेरा
हूँ अपनेभी अंदर गुणों की खुशबु लिऐ
भरती हूँ उडान हौसलों की आशा के पंख लिए
हूँ मैं अपने आपसी ही, अपना इक अलग व्यक्तित्व लिऐ।
