STORYMIRROR

saru pawar

Tragedy

3  

saru pawar

Tragedy

बात जब आबरु की हुई

बात जब आबरु की हुई

1 min
13

फिर उँगली उसपर उठी

ढकी हैं सिर से पांव तक

कही घूंघट और बुरखे में भी

क्यों नजरों को उँठती उसकी ओर

रोकतें नही ???

शर्मसार वो ही ..

पाप किसी का और का सहीं

आबरू है ओ या उससे जुडा कुछ

पूछ ले खुदी से जमाना..

उँगली उसपे अब मत उठाना।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy