बात जब आबरु की हुई
बात जब आबरु की हुई
फिर उँगली उसपर उठी
ढकी हैं सिर से पांव तक
कही घूंघट और बुरखे में भी
क्यों नजरों को उँठती उसकी ओर
रोकतें नही ???
शर्मसार वो ही ..
पाप किसी का और का सहीं
आबरू है ओ या उससे जुडा कुछ
पूछ ले खुदी से जमाना..
उँगली उसपे अब मत उठाना।
