गीत कौन सा मैं गाऊँ ?
गीत कौन सा मैं गाऊँ ?
गीत कौन सा मैं गाऊँ ?
जग ये जैसे रो रहा है मातम घर घर हो रहा है .
गीत कौन सा मैं गाऊँ ?कैसे दुनिया को बहलाऊँ ?
देने सुत को एक निवाला ,बिक जाती राहों में बाला .
कौन धान की हांडी लाऊँ ?भर भर पेट उन्हें खिलाऊँ ?
खेल अनय का हो रहा है,न्याय चक्षु बंद सो रहा है .
कौन प्रभाती राग सुनाऊँ ?इस धरा पर न्याय जगाऊँ ?
दो कौड़ी बिकता ईमान ,क्यू में खड़ा हुआ इंसान .
कौन ज्योति का दीप जलाऊँ ?मानस को अंतस दिखलाऊँ ?
सत्य सुबकता कोने में झूठ दमकता पैसे में
कौन कोर्ट का निर्णय लाऊँ ?झूठ सच का अंतर बतलाऊँ ?