जब, जहाँ से भी मैं कभी टूटी अपनी मिट्टी निकाल वहाँ लगाया है। जब, जहाँ से भी मैं कभी टूटी अपनी मिट्टी निकाल वहाँ लगाया है।
दर्द ए दवा न कोई काम का तेरे बिना न यह ज़िन्दगी आराम का। दर्द ए दवा न कोई काम का तेरे बिना न यह ज़िन्दगी आराम का।
जहाँ चीर कम पड़े नारी का, वह अपना दु:शाला देता है। जहाँ चीर कम पड़े नारी का, वह अपना दु:शाला देता है।
तिल तिल कर मरता आया है जो मज़दूर उसको जीने का एक नया बहाना दे दो इंसान हो इंसान होने का थोड़ा फर्ज... तिल तिल कर मरता आया है जो मज़दूर उसको जीने का एक नया बहाना दे दो इंसान हो इंसा...
क्या खेल रचाया क्या खेल रचाया
अस्मत आज फिर तार-तार हुई, इंसान हैवान बन गया शायद! अस्मत आज फिर तार-तार हुई, इंसान हैवान बन गया शायद!