भूखे को रोटी का निवाला दे दो..
भूखे को रोटी का निवाला दे दो..
किसी भूखे को रोटी का निवाला दे दो
किसी ग़रीब को शिक्षा का उजियारा दे दो
हो अगर काबिल तो किसी को सहारा दे दो
छत और वस्त्र नहीं है जिस ग़रीब के पास
उसको आशा की किरण का सवेरा दे दो
मिटा दो अंधियारा गरीबी और भुखमरी का
शहर को अपने इक नया उजियारा दे दो
तिल तिल कर मरता आया है जो मज़दूर
उसको जीने का एक नया बहाना दे दो
इंसान हो इंसान होने का थोड़ा फर्ज़ निभा लो
फैला ख़ुशियाँ इंसानियत की लौ जला लो
बूझते हुए चिराग को अंधड से बचा लो
जिंदगी रोशन कर मन का सुकून पा लो
छोड़ो मज़हब और जात पात की लड़ाई
बीच वाला भाईचारे का रास्ता अपना लो
आत्मा नश्वर है लेकिन जिंदगी कुछ बरस है
नेकी और बदी ही जीवन का सच्चा सत्संग है
फिर लगती क्यों ये जिंदगी बेरंग है
प्रेम और स्नेह ही जग में असल रंग है
किसी भूखे को रोटी का निवाला दे दो
किसी ग़रीब को शिक्षा का उजियारा दे दो....