खाना तेरे दीवाने
खाना तेरे दीवाने
आँखों से चखते हैं कभी
तो जुबां से न जाये स्वाद
वक़्त पे हमें न मिले
तो करते हैं हम फरियाद
चाहे सेंको
चाहे उबालो
फ़िर भी लज़ीज़ लगती है
जब भी परोसो थाली में
सबको अज़ीज़ लगती है।
रूप बदले रंग बदले
फिर भी सब तेरे दीवाने हैं
तेरे चर्चे मशहूर है
आज भी इस ज़माने में।
सब के जुबां पे तेरा नाम
जब तू भूख मिटाता है
सुकून से सोते हैं सब
जब हर निवाला लुटाता है।
दर्द ए दवा न कोई काम का
तेरे बिना न यह ज़िन्दगी
आराम का।