बेपनाह
बेपनाह
ख़ुशी का इज़हार,
करते हैं कभी,
तो गम बरसातें हैं,
नीदउँ में !
सुकून की तलाश,
करते-करते,
क़ैद हुए,
सोच ज़ंजीरों में !
आज़ाद मन,
फिर से उड़ने लगा,
हर बंदिशों को तोड़ !
दिल का पंछी,
हर गम से बेगाना,
फिर से चला,
मंज़िलों की और !
दूर तलक,
तेरी नज़रें,
बीचे आज़माती है,
एक नया सवेरा !
एक मुद्दत बाद,
सम्भलें दो दिल,
फिर से ढूँढ लेंगे,
कहीं बसेरा !
