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Ezaz Hussain

Romance

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Ezaz Hussain

Romance

ख्वाब

ख्वाब

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तेरे ख्याल से जब वो

दिल गुज़रा कभी

वो लम्हें मुझे परखती हैं

नज़दीक न तुझे देख पाऊं तोः

यह निगहैं मेरी तरसती हैं


अनदेखा ख्वाब जब 

मुझे रातों को सताता है

राज़ कहीं है दिल में छुपी

ये वक़्त मुझे बताता है


हज़ार ख्वाइशें दिल में ऐसी

जैसे गहरा समंदर हो

ठहराव नहीं है दिल में कभी

जैसे कभी कोई किनारा हो


अशांत मन में यह सोच कैसा

जैसे तेरी कहीं परछाई हो

धुंदले यादों में कहीं

तुझ में ही शामिल हो


क्या है वो ख्वाब जो मैंने देखा

जो मुझे ही रुलाता है

अक्सर मेरी नींदों में क्या

अब भी मुझे बुलाता है !


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