मोहब्बत का खेल
मोहब्बत का खेल
मोहब्बत बस एक खेल है, अब कहां ये जन्मों-जन्मों का मेल है,
हो परफेक्ट तो हम तेरे बिन मर जायेंगे,
गर पड़े कमजोर तो चल-चल तेरे जैसे बहुत आएंगे,
समाज की दुहाई देंगे और एक पल में तुम्हें तन्हा छोड़ देंगे
यहाँ फायदे, हुस्न की बात करो साहेब, या बंद कमरे मे बात करो साहेब,
किसी को ख़बर हो गई तो मेरी इज़्ज़त ढेर है
ये महोब्बत नहीं बस जिस्मों का खेल है
चलो आज खेल-खेल में कुछ कर जायेंगे,
फेंक आएंगे झाड़ियों में नन्हीं निशानियां
फिर अपने-अपने घर जायेंगे.
ये मोहब्बत नहीं बस अश्लीलता का खेल है।