आंसा इश्क
आंसा इश्क
ये इश्क नहीं आसान
तुमने कहा था मुझे
मगर हो गया इश्क तुमसे
अब तुम रोको न मुझे
क्या हुआ अगर रोटी गोल न बनी
क्या हक नहीं प्यार करने का मुझे
पता है घर की जिम्मेदारियां हैं
तो क्या सिनेमा जाने का हक नहीं मुझे
पता है तारें गिनना बेकार काम है
पर तारें गिनना पसंद है मुझे
बहुत प्रेम है अपने सास ससुर से
तो क्या मां बाप को भूलना होगा मुझे
कहते हैं छांट लो अपना पर तुम
क्या करूं स्नेह है अपने परों से मुझे
कल रात बदबू आई थी शराब की
मगर सवाल का जवाब नहीं दिया तुमने मुझे
मेरे लिए राजकुमार मत बनना तुम
ना बनाना राजकुमारी मुझे
मैं तुमसे जी भरकर प्रेम कर सकूं
बस ऐसे ही तुम मिलना मुझे
रोटियां गोल न भी हुई तो प्रेम कम न हो हमारा
बस ऐसे ही तुम मिलना मुझे
इश्क जो न था आसां
चल उसे बनाएं आसां।
