STORYMIRROR

Anita Koiri

Abstract

3  

Anita Koiri

Abstract

आंसा इश्क

आंसा इश्क

1 min
241

ये इश्क नहीं आसान

तुमने कहा था मुझे

मगर हो गया इश्क तुमसे

अब तुम रोको न मुझे

क्या हुआ अगर रोटी गोल न बनी

क्या हक नहीं प्यार करने का मुझे

पता है घर की जिम्मेदारियां हैं

तो क्या सिनेमा जाने का हक नहीं मुझे

पता है तारें गिनना बेकार काम है

पर तारें गिनना पसंद है मुझे

बहुत प्रेम है अपने सास ससुर से

तो क्या मां बाप को भूलना होगा मुझे

कहते हैं छांट लो अपना पर तुम

क्या करूं स्नेह है अपने परों से मुझे

कल रात बदबू आई थी शराब की

मगर सवाल का जवाब नहीं दिया तुमने मुझे

मेरे लिए राजकुमार मत बनना तुम

ना बनाना राजकुमारी मुझे

मैं तुमसे जी भरकर प्रेम कर सकूं

बस ऐसे ही तुम मिलना मुझे

रोटियां गोल न भी हुई तो प्रेम कम न हो हमारा

बस ऐसे ही तुम मिलना मुझे

इश्क जो न था आसां

चल उसे बनाएं आसां।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract