अच्छे बाप
अच्छे बाप
बेटियां न जाने क्यों बरसों से अनचाही होती हैं
चाहे उनको कोई नहीं क्यों इतनी बेकार होती हैं
बेटियां न जाने क्यों सदियों से बोझ कहलाती हैं
बेटियां क्यों बेटों सी हक समाज में न पातीं है
क्यों बेटियां दहेज संग विदा कर दी जाती हैं
क्यों बेटियां परिवार में सहेज कर नहीं रखी जाती हैं
अपना नाम उपनाम सब क्यों बेटियों से छीनते हो
पत्थर हो तुम खुद या बेटियों को इंसान न समझते हो
उस बाघ ने सही कहा था कि शिकारी ने चित्र बनाया है
इसलिए बाघ शिकारी के पैरों तले आया है
अगर बाघ भी चित्र बनाते तो सारे नक्शे बदल ही जाते
अतः कहता हूं बेटियों को भी चित्र उस बाघ सा बनाने दो
समाज जो बोझ समझे उसे पटखनी देने दो
परिवार जो कोख में मारे ऐसे व्यक्तियों को सजा दो
बेटियां बोझ न थी न होंगी तुम अच्छे बाप बनकर दिखा दो।