दुनिया बैरी
दुनिया बैरी
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पास कहो या दूर कहो
ये दुनिया बैरी रहेगी
तुम्हारे हर चाल को मापेगी
तुम्हारे हर रस्ते को मोडे़गी
ये दुनिया है साहब किसी की भी न सुनेगी
ये दुनिया बुरी थी है और रहेगी
यहां नदी कभी भी उल्टी न बहेगी
हां है किसी मे ज़ोर गर
तो दिखा दे पूरजोर
वो दुनिया से न डरेगी
न रूकेगी न झुकेगी
न ही कभी थमेगी।