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V. Aaradhyaa

Tragedy

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V. Aaradhyaa

Tragedy

महल दुमहले बना लिए, पर...

महल दुमहले बना लिए, पर...

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है कितना क्षण भंगुर यह जीवन,

   अगले पल का पता नहीं।

सत्कर्मों से जीवन जी ले,

   तू किसी को अब सता नहीं।।


बड़े भ्रष्ट तरीके से अपना करके,

     महल दुमहले तक़ बना लिए।

निरीह जन को खूब सता,

    अधिकोष में संख्या बढ़ा लिए।।


सत्चरित्र सच्चाई के संग, 

   सदासयता का भाव। 

ममता दया और करुणा का, 

   कभी न हो आभाव।। 


परहित सम्भव हो जो करिये, 

   अहित नहीं होना चाहिए। 

कर्म योग श्रद्धा के बल, 

   पुण्य सदा संचित करिये।।


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