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Anita Koiri

Children Stories

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Anita Koiri

Children Stories

पंछी और बंदर

पंछी और बंदर

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पंछी देखो उड़ जाती है

हर रोज दाना लेकर आती है

घोंसले में उसके प्यारे बच्चे रहते हैं

नन्हे मुन्ने प्यारे पंछी चींचीं धुन गाते हैं

पंछी बड़ी सुंदर है

उसके पीछे पड़ा एक बंदर है

वह उसे देखो तंग करता है

हर रोज उसका पीछा करता है

पंछी मगर डरती नहीं

कभी भी वह रूकती नहीं

उसने चुपचाप नया घोंसला बनाया है

बच्चों को वही छिपाया है

बंदर को वह चाहे सबक सिखाना

चींटीयों को खिलाया उसने मिश्री का दाना

कहा जाओ सोते बंदर की पुंगी बजाओ

लौटकर ढेर सारा मिठाई पाओ।

चिंटियों ने बंदर का किया काम तमाम

पंछी को आकर कहा राम- राम

बंदर सा कभी तुम न काम करो

पंछी सी मगज़ और वैसी ही धीरज धरो।



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