समय-समय की बात
समय-समय की बात
ये समय फिसलता जाए
न इसे किसी का कहना भाए
समय अच्छा हो या बुरा रूकता नहीं
समय किसी भी पल जाने क्यों थकता नहीं
समय देखो कितना व्यस्त हैं
वह देखता नहीं कौन कहां अस्त व्यस्त हैं
समय न रूठता न मनाता है वह सबसे मस्त है
अपने साथ न चलने वालों को यह करता पस्त है
यह बेचारा सदैव
रहता मौन है
समय आने पर बताता है किसका कौन है
यह बिल्कुल जालसाज नहीं
समय का बिल्कुल अलग मिजाज है
समय तुम रूकना नहीं
न गरीब की झोपड़ी देख रूक जाना
न महल की ठंडक में छिप जाना
समय तुम चलते रहना
समय तुम कभी न थकना
जो तुम्हारा साथ दे उसको संग रखना
जो तुम्हारे साथ चले उसे फर्श से अर्श पर बिठाना।